मंझन की नायिका मधुमालती का रूप-सौन्दर्य
मंझन की नायिका मधुमालतीका रूप-सौन्दर्य शाहिद इलियास सूफ़ियों के अनुसार, यह सारा जगत् एक ऐसे रहस्यमय प्रेमसूत्र में बँधा है जिसका अवलंबन करके जीव उस प्रेममूर्ति तक पहुँचने का मार्ग पा सकता है। सूफ़ी सब रूपों में उसकी छिपी ज्योति देखकर मुग्ध होते हैं , ' प्रेम-रस बून्दन ' के दीवाने हो जाते हैं। मधुमालती के विराट्, व्यापक और अनुपम रूप-सौन्दर्य का वर्णन करते हुए मंझन कहते हैं ౼ देखत ही पहिचानेउ तोहीं। एही रूप जेहि छँदरयो मोही एही रूप बुत अहै छपाना। एही रूप रब सृष्टि समाना एही रूप सकती औ सीऊ। एही रूप त्रिभुवन कर जीऊ एही रूप प्रगटे बहु भेसा। एही रूप जग रंक नरेसा उपर्युक्त पंक्तियों में मंझन ने समासोक्ति पद्धति में ईश्वर की ओर संकेत किया है और मधुमालती के रूप-सौन्दर्य के बहाने समस्त सौन्दर्य के शाश्वत स्रोत परम प्रीतम ईश्वर के अनुपम रूप-सौन्दर्य का सरस, सम्मोहक और जीवन्त चित्रण किया है। सुन्दर वस्तु शाश्वत और आनन्ददायिनी होती है। इन पंक्तियों में प्रकृति में व्याप्त ईश्वर के व्यापक रूप-सौन्दर्य की ओर संकेत किया है। मतलब यह कि जायसी ने जिस पारसरूप की कल्पना की है, मं...